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बिना ऑपरेशन मोतियाबिंद का इलाज बना संभव!,कैसे करें?

Glaucoma

मोतियाबिंद लोगों में दृष्टि हानि का आम कारण है और यह  40 साल एवं उससे अधिक उम्र के लोगों में अमूमन पाया जाता है। मोतियाबिंद का इलाज नहीं किया जाए तो यह अंधेपन का प्रमुख कारण बन सकता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज़ अब तक सिर्फ सर्जरी के जरिए किया जाता था, पर शुक्र है डॉ बासु ऑय हॉस्पिटल का, जहाँ इस बीमारी का अचूक एवं बेहतरीन आयुर्वेदिक समाधान  मिलता है |

मोतियाबिंद दो प्रकार के होते हैं  एक कोमल है और दूसरा कठोर प्रकार का होता है| कठोर मोतियाबिंद अधिकतर ज्यादा उम्र वाले लोगों को होती है | यह शुरुवाती समय में धुंधला या हल्का पीला होता है और धीरे धीरे कुछ समय में पूरी तरह से विक्सित हो जाता है |

बिना सर्जरी के मोतियाबिंद (cataract without surgery )का प्रारंभिक चरणों  में इलाज संभव है?

लोगों में आयुर्वेदिक दवाओं  के प्रति कम जागरूकता  होने की वजह से  सर्जरी करानी पड़ती है |अगर हमने आयुर्वेदिक दवाओं  का  सही सेवन किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श द्वारा कराया तो  हम बिना सर्जरी के मोतियाबिंद (cataract without surgery) को ठीक कर सकते हैं |सर्जरी की बिलकुल भी आवयश्कता नहीं पड़ेगी | मोतियाबिंद  का अगर  शुरुआती चरणों में सही से इलाज कराया जाए तो ये लक्षण कुछ समय में पूरी तरह से दूर हो सकते हैं । 

मोतियाबिंद के लक्षण

मोतियाबिंद के लक्षण  की बात करें तो इसमे  आँखों पर बादल बनना शुरू हो जाता है  या नज़र धुंधली होने लगती है  | बहुत से लोगों को कम रोशनी में देखने में कठिनाई  होती है और कई लोग की आँखें चुंधियाना  लगती है | प्रकाश के प्रति  संवेदनशीलता होना या रौशनी आँखों में लगने पर फीका दिखना बीमारी के शुरुआत में कम से कम होता है |इसलिए अगर आप शुरुवाती समय में अपनी आंखें का परीक्षाएं करवा कर सही दवा लेने लगते हैं तो आपको  चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से आपको नज़र सुधारने में मदद मिल सकती हैं।

नाड़ी शुद्धि प्राणायाम

जीवनशैली में बदलाव के लिए उचित योगाभ्यास का एक महत्वपूर्ण रोल है| इसमें नाड़ी शुद्धि प्राणायाम करने  पर मन शांत  होता है  और साथ ही मोतियाबिंद से जुड़ी आंखों की जलन को खत्म करने में भी बहुत कारगार होती है | इस योग का अभ्यास करने के लिए रोगी को सिर और रीढ़ की हड्डी को सीधा करके और शरीर को पूरी तरह से शिथिल रखते हुए ध्यान (सुख आसन) में बैठना चाहिए। इस योगाभ्यास में रोगी को एक नासिका छिद्र को बंद करके दूसरे से सांस लेनी चाहिए| वह बायीं नासिका से शुरू कर सकता है यदि वह अपनी दाहिनी नासिका को बंद करता है और इसके विपरीत अंगूठे से बंद करता है और पूरी सांस दूसरी नासिका से छोड़ता है| अगला कदम दूसरी नासिका से गहरी सांस लेना है और अब आप विपरीत नासिका को अंगूठे से बंद कर सकते हैं|

औषधीय गुण केवल सफ़ेद प्याज में ही है  इसलिए अगर आप एक चमच्च सफ़ेद प्याज का रस और एक चमच्च निम्बू का रस  और उसमें तीन से चार चम्मच  शहद मिला दे और इसी में एक चमच्च गुलाब जल मिला कर  एक बोतल में रख लें | जरूरत अनुसार आप रोज एक से दो ड्राप अपने आँखों में डालें | लगातार  एक महीने आई ड्राप डालने से आपकी आँखों को मोतियाबिंद से निजाद मिल जायगा |

पुर्ननवा की जड़ ka sewan

पुर्ननवा की जड़ का भी मोतियाबिंद ठीक करने का दावा रखती है साथ ही जिन लोगों को मोतियाबिंद का खतरा रहता है उन लोगों के लिए पुर्ननवा की जड़ें काफी अच्छी होती है। आयुर्वेद  पद्धति में पुर्ननवा की जड़ों को सूखाकर अगर पीस कर एक पाउडर बना लें  और इसके साथ आपको सांभर के सींग का चूर्ण बना लें | फिर आप इन दोनों पाउडर को मिलाकर  इसका सूरमा बना लें और  हर दिन दो बार सुबह और शाम अपनी आंखों पर लगाएं। इसकी मदद से आप अपने मोतियाबिंद की बीमारी को ठीक कर सकते हैं|

गिलोय

गिलोय के औषधीय गुण भी आँखों के कई  रोगों में कारगर हैं। आप 10 मिलीग्राम गिलोय के रस में 1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर इसे  अच्छे से पीस लें और फिर इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इसके  रेगुलर सेवन से अँधेरा ,काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं | इन घरेलु उपायों को करते हुए आपको आपके आयुर्वेदिक वैद्य से भी परामर्श लेते रहना चाहिए | इसका कारण है घरेलु उपाय के साथ औषधीय उपाय भी|

पलाश की छाल

पलाश की छाल में भेदन गुण होता है, जिसके कारण यह मोतियाबिंद या लेंस की अपारदर्शिता पर काम करता है। छाल, लघु और उष्ना वीर्य गुण पलाश के लिए इस चीज़ को संभव बनाते हैं। यह अपने शीघ्र (घाव भरने वाले) व्रंजीत गुण के कारण फोड़े-फुंसियों और सूजन पर दारण कर्म के लिए जाना जाता है। पलाश में रसायन गुण (कायाकल्प गुण) भी प्रदर्शित होता है, जो रेटिनल डीजनरेशन, मैक्यूलर डीजनरेशन और रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा जैसी अपक्षयी बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

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आयुर्वेदिक पदत्ति द्वारा मोतियाबिंद का रोकथाम

आयुर्वेद मोतियाबिंद के इलाज पर ध्यान केंद्रित करता है और विशिष्ट जीवनशैली युक्तियों की वकालत करता है जो मोतियाबिंद के विकास के जोखिम को काफी कम कर सकते हैं। यहां कुछ स्पष्टीकरण दिए गए हैं:

  1. अपने दैनिक आहार में घी को शामिल करें। रोज दिन में दो बार एक चम्मच घी का सेवन करें। 

अचार, कड़क चाय, ब्लैक कॉफ़ी, सॉस और अन्य कड़वे या खट्टे खाद्य पदार्थों से बचें।

  1. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ मोतियाबिंद के रोगियों की स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए उन्हें नियमित रूप से गाय के दूध और डेयरी उत्पादों का सेवन करने की सलाह देते हैं।
  1. अपने आहार में विटामिन सी से भरपूर फल जैसे संतरा, सेब, अनार और केला शामिल करें।
  2. पालक और भिंडी जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों का नियमित सेवन करें।
  3. मेथी के दानों को शामिल करके अपने भोजन को बेहतर बनाएं।
  4. धूम्रपान पित्त दोष को बाधित करता है और वात को नकारात्मक रूप से बढ़ाता है। पित्त दोष में संतुलन बनाए रखने के लिए धूम्रपान छोड़ें।
  5. अपने आहार में विटामिन ई के अच्छे स्रोतों को शामिल करें, जैसे सूरजमुखी के बीज, बादाम और पालक।

वात की तीव्रता को कम करने के लिए, शांत करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें और अत्यधिक चिंता या घबराहट से बचें।

  1. एक्स-रे और इन्फ्रारेड किरणों जैसे हानिकारक रसायनों से दूर रहें।

हालाँकि मायोपिया को  बिना सर्जरी (Myopia without surgery) के ठीक किया जा सकता है | इसके लिए आप अपनी आँखों में मायोपिया की वृद्धि को धीमा करने के लिए नियमित रूप से आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं। मायोपिया को प्राकृतिक तरीके से कम करने  के लिए औषधियों के अलावा  स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आंखों को आराम के साथ सकारात्मक गतिविधियां की जा सकती हैं, ताकि आंखों की मांसपेशियां तनावग्रस्त न हों।

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